बेवजह नहीं है रक्षा मंत्री राजनाथ की चिंता, पश्चिमी तट हर लिहाज से है भारत के लिए बेहद खास
भारत का पश्चिम तट बेहद खास होने की वजह से बेहद संवेदनशील भी है। रक्षा मंत्री इस बात की आशंका जता चुके हैं कि आतंकी यहां से देश में दाखिल हो सकते हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 29 Sep 2019 04:31 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। बीते कुछ समय में भारत कई बार अपने पड़ोसी मुल्क से बड़े आतंकी खतरे की आशंका जता चुका है। खासतौर पर जम्मू कश्मीर की संवैघानिक स्थिति में हुए बदलाव के बाद तो इसका खतरा कहीं अधिक बढ़ गया है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि खुद केंद्रीय रक्षा मंत्री ने करीब तीन बार विभिन्न मंचों से इस बात को दोहराया है। हाल ही में भारतीय नौसेना को सौंपी गई पनडुब्बी खंडेरी के समारोह के दौरान भी उन्होंने इसको लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। उनका कहना था कि पाकिस्तान के आतंकी भारत में हमला करने के लिए पश्चिमी सीमा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पश्चिम इसलिए है बेहद संवेदनशील भारतीय की तटीय सीमा की यदि बात करें तो आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि गुजरात से लेकर केरल तक में कई बड़ी ऑयल रिफाइनरी जहां भारत के लिए बेहद खास हैं वहीं आतंकियों के लिए बड़ा निशाना हो सकती हैं। गुजरात की ही यदि बात करें तो यहां पर कोयाली में इंडियन ऑयल की देश में दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है। इन पर खतरे की आशंका इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि जिस तर्ज पर हाल ही में हूथी विद्रोहियों ने सऊदी की रिफाइनरी आरामको जो दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है, पर हमला किया था। इसकी वजह से पूरी दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने के साथ तेल का उत्पादन भी प्रभावित हुआ था। इसके अलावा मुंबई में स्थित भारत का प्रमुख परमाणु संयंत्र भाभा भी आतंकियों का निशाना हो सकता है। हालांकि यहां की सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही काफी पुख्ता है। इसके अलावा भारतीय नौसेना के लिहाज से भी यह तट बेहद खास है।
वाजिब है चिंता उनकी इस चिंता की वाजिब वजह भी है। दरअसल, पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका इस रास्ते से पहले भी भारत में दाखिल होकर बड़े हमले को अंजाम दे चुके हैं। मुंबई में हुआ 26/11 का हमला इस बात का जीता जागता उदाहरण है। नवंबर 2008 में हुए इस हमले को पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा के दस आतंकियों ने अंजाम दिया था। इस हमले में 174 लोगों की मौत हुई थी जबकि 300 के करीब लोग घायल हुए थे। आतंकियों को ढेर करने में सुरक्षाबलों को चार दिन लगे थे। इस दौरान एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा गिरफ्तार किया गया था, जिसको कानूनी प्रक्रिया के तहत 2012 में यरवडा जेल में फांसी दे दी गई थी।
इन जगहों को बनाया था निशाना आतंकियों ने इस दौरान छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई छाबड़ हाउस, द ऑबरॉय ट्राइडेंट, होटल ताज, लियोपॉर्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल, नरिमन प्वाइंट के अलावा मेट्रो सिनेमा को भी निशाना बनाया था। इस हमले की सभी देशों ने जमकर निंदा की थी। भारत सरकार ने एक नए आतंक-विरोधी कानून के तहत हाल ही में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद, मुंबई आतंकी हमले के आरोपी जकी-उर-रहमान-लखवी और भगोड़े माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम को आतंकवादी घोषित कर दिया था।
पाकिस्तान के ड्रोन जहां तक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चिंता की बात है तो आपको यहां पर ये भी बता दें कि हाल ही में पंजाब में पाकिस्तान से आए एक ड्रोन से सीमावर्ती इलाकों में हथियार गिराए गए थे। इसी तरह से पहले कई बार पाकिस्तान ने ड्रोन की मदद से भारतीय सुरक्षाबलों की जानकारी और तैनाती लेने की भी नाकाम कोशिश की है। राजस्थान में करीब दो ड्रोन इसी तरह से भारतीय सुरक्षाबलों ने मार गिराए थे। जहां तक पश्चिम में समुद्री सीमा की बात है तो यह भी काफी संवेदनशील है। भारत और चीन के बीच की सीमा को मैकमोहन रेखा, जो कि अरुणाचल प्रदेश के साथ चीन की सीमा से स्पर्श करती है।
पाकिस्तान से लगती है भारत की कुल 3323 किमी की सीमा रेखा आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत की पाकिस्तान से करीब 3323 किमी की सीमा रेखा मिलती है। भारत ने अपनी इसी चिंता की वजह से पाकिस्तान से लगते अपने सीमावर्ती राज्यों सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हुए हैं। इसके तहत 50 हजार पोल पर डेढ़ लाख फ्लड लाइट लगी हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि भारतीय सीमा का जगमगाता यह पूरा क्षेत्र अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। कई बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से इसकी तस्वीर ली जा चुकी है।
रेडक्लिफ रेखा रत और पाकिस्तान के बीच रेडक्लिफ रेखा और पाक जल डमरु मध्य श्रीलंका को भारत से पृथक करती है तथा ग्रेट चैनल इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप और ग्रेट निकोबार द्वीप को पृथक करता है। भारत के 10 राज्यों की सीमाएं समुद्र तट से मिलती हैं। सबसे लंबी तट रेखा गुजरात की 1663 किलोमीटर स्पर्श करती है। सबसे छोटी सीमा मात्र 37 किलोमीटर लक्षद्वीप समूह को स्पर्श करती है। आपको बता दें कि समुद्री तटों की निगरानी का काम बेहद मुश्किल होता है। भारतीय समुद्री सीमा पर नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के जहाज इस काम को अंजाम देते हैं। मुंबई हमले के बाद यूं तो भारत ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कई तरह के जरूरी इंतजाम किए हुए हैं, लेकिन, इसके बाद भी भारत की चिंता अपनी जगह वाजिब है।
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